भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
भारत की ब्रिटिश शासन मुक्ति एक कठिन संधर्ष का परिणाम था। यह संग्राम विभिन्न अवस्थाओं से गुजरने के पश्चात पूरा हुआ। अंग्रेजी शासनकाल के अन्तगर्त िभिन्न कारणों स भारतीय जनता में राष्ट्रिय जाग्रति की भावना का उदय हुआ। राष्ट्रीय आंदोलन का प्रारम्भ भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना के साथ समझा सकता है। प्राम्भिक दौर में कांग्रेस में काफी उथल पुथल रही, लेकिन गाँधीजी के राष्ट्रिय आन्दोलन में शामिल गॉन के साथ ही आंदोलन ने गति पकड़ी, जिसकी परिणति भारत की स्वतंत्रता के रूप में हुई।
भारतीय कांग्रेस की स्थापना
कांग्रेस की स्थापना (1855)
- भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज अधिकारी एलेन ऑटोवियान ह्नम द्वारा 1885 ईसवी में की गई। इसका प्रथम अधिवेशन 28 दिसंबर 1885 को मुंबई के ग्वालियर टैंक स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुआ। आरंभ में इसका नाम भारतीय राष्ट्रीय संघ रखा गया था, लेकिन बाद में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर दिया गया।
- मुंबई के पहले अधिवेशन में भाग लेने वाले अधिकतर नेता वकील एवं पत्रकार थे,इस सम्मेलन में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या 72 थी। सर्वाधिक सदस्य मुंबई प्रांत से थे। इस अधिवेशन का अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी तथा सचिव ए ओह्नम थे।
- सेफ्टी वाल्व सिद्धांत के जनक लाला लाजपत राय हैं। उनके अनुसार डेरिंग के निर्देश पर ह्नम ने कांग्रेस की स्थापना पर उद्देश्य से की थी, कि भारतीय जनता में पनपता या बढ़ता असंतोष किसी भी रूप में उग्र रूप धारण ना करें और असंतोष की इस ज्वाला को बिना किसी खतरे के कांग्रेसी रूपी सुरक्षा बल विषय सहज ही बाहर निकाला जा सके।
- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में जिन मांगों को पारित किया गया, उनमें प्रमुख थे केंद्र तथा प्रांतों में विधान परिषदों का विस्तार किया जाए, कुछ सरकारी नौकरियों में भारतीयों को भी पूर्ण अवसर प्रदान किया जाए, सैनिक खर्च में कटौती की जाए।
उदारवादी चरण (1885 - 1905 )
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर 1885 ईसवी से लेकर 1904-05 तक उदार वादियों का वर्चस्व था। उन्हें उदारवादी या नरमपंथी इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसका लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा व्यक्त करना तथा अपनी मांगों को प्रतिवेदनों, भाषणों और लेखों के माध्यम से सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करना था।
उदारवादी कहे जाने वाले प्रमुख नेताओं में दादा भाई नौरोजी (1825-1917), सुरेंद्रनाथ बनर्जी (1848 -1926), गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915), फिरोजशाह मेहता, मदन मोहन मालवीय, दिनेश वाचा आदि का नाम उल्लेखनीय है।
उदारवादी या नरमपंथी नेताओं ने अपनी अपनी मांगों को मनवाने के उद्देश्य से ब्रिटेन में दादा भाई नौरोजी की अध्यक्षता में 1887ईस्वी में भारतीय सुधार समिति की स्थापना की गई।
राष्ट्रवादीयों के प्रारंभिक सफलता के रूप में 1886 ईस्वी में लोक सेवा आयोग की स्थापना तथा भारत और इंग्लैंड में 17 परीक्षा कराने का पर सहमति, भारतीय व्यय समीक्षा हेतु वेल्वी आयोग की स्थापना तथा 1892 ईसवी के भारत परिषद अधिनियम का पारित होना आदि का उल्लेख जाता है।
आंदोलन के प्रथम चरण में राष्ट्रवादी नेता दादा भई नौरोजी द्वारा प्रस्तुत धन के निष्कासन का सिद्धांत रानाडे द्वारा भारतीयों को आधुनिक औद्योगिक विकास के महत्व को समझाने तथा रमेश चंद्र दत्त द्वारा लिखी गई भारत का आर्थिक इतिहास नामक पुस्तक के कारण इसे आर्थिक राष्ट्रवादी यू के नाम से भी जाना जाता है।
कांग्रेस - पूर्व राजनितिक संस्थाएँ
संगठन वर्ष संस्थापक स्थान
लैण्ड होल्डर्स सोसायटी 1838 द्वारकानाथ टैगोर कलकत्ता
ब्रिटिश इण्डिया सोसायटी 1839 विलियम एडम्स लन्दन
बंगाल ब्रिटिश इण्डिया सोसायटी 1843 जॉर्ज थॉमसन कलकत्ता
ब्रिटिश इण्डिया एसोसिएशन 1851 देवेन्द्रनाथ टैगोर कलकत्ता
मद्रास नेटिव एसोसिएशन 1852 गजुलू लक्ष्मी नरसूचेट्टी मद्रास
बॉम्बे एसोसिएशन 1852 जगन्नाथ शंकर सेठ बम्बई
ईस्ट इण्डिया एसोसिएशन 1866 दादाभाई नौरोजी लन्दन
नेशनल इण्डियन एसोसिएशन 1867 मेरी कारपेंटर लन्दन
पूना सावर्जनिक सभा 1870 एस एच चिपलंकर, जी. जोशी एम् जी पूना
रानाडे
इण्डियन एसोसिएशन 1876 आनंद मोहन बोस एवं एस एन बनर्जी कलकत्ता
मद्रास महाजन सभा 1884 एम् वीरराधवाचारी, आनन्दचारलू मद्रास
बॉम्वे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन 1885 फिरोजशाह मेहता,के टी तैलंग,बदरुद्दीन बम्बई
तैयब
1 Comments:
Click here for CommentsVery nice information 🙂
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