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Bihar Rajy ka Asthapna kab hui thi | बिहार का स्थापना कब हुआ था

बिहार प्रांत का मांग  

Bihar Rajy ka Asthapna | बिहार का स्थापना
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बिहार प्रांत का मांग और स्थापना विस्तार

Bihar Rajy ka Asthapna | बिहार का स्थापना
Bihar 

19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बिहार को एक पृथक राज्य में परिवर्तित करने की मांग बुद्धिजीवियों द्वारा प्रस्तुत जाने लगी।

सन 1894 में बिहार टाइम्स नामक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ जिसमें बिहार को पृथक प्रांत बनाने की मांग रखी गयी।

इसके संपादक, महेश नारायण थे और इसके प्रमुख सहयोगी सच्चिदानंद सिन्हा थे।

इसी वर्ष बिहार के उपराज्यपाल चार्ल्स इलियट को ज्ञापन दिया गया कि बिहार को पृथक प्रांत बनाया जाए। मगर इसे स्वीकृत नहीं मिली। बिहार के पृथकीकरण की यह मांग कई कारणों से प्रभावित थी।

मुगलकाल में बिहार एक अलग सुबा था। मुगल सत्ता के पतन के समय यह क्षेत्र बंगाल के नवाबों के प्रभावाधीन आ गया था।
ब्रिटिश शासन काल में यह बंगाल से संबंध रहा।

इस कारण बिहार में प्रशासन, शिक्षा, विभिन्न व्यवसाय, वकालत, आदि में बंगालियों का एक बहुत अधिक प्रतिनिधित्व रहा था बंधन। शिक्षा के विस्तार के फलस्वरुप अब बिहारवासी भी रोजगार की इन संभावनाओं में अपने अंश की प्राप्ति के लिए थे।

अतः वे बंगाल की छाया से बिहार को बाहर निकालना चाहते थे। अतः बिहार को बंगाल से अलग करने की मांग ने अब जोर पकड़ा। स्मरणीय है कि इस मांग की अभिव्यक्ति में शिक्षित सलमानों और कायस्थों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
लगभग एक दशक के बाद इन्हीं प्रयासों को एक निश्चित दिशा मिली।

जब 1905 में बंगाल के विभाजन का फैसला लॉर्ड कर्जन ने किया।

बंगाल को पश्चिमी और पूर्वी बंगाल में विभाजित करने के इस फैसले के पीछे प्रशासनिक सुविधा को कारण के रूप में बताया गया, मगर वास्तव में इसका उद्देश्य बंगाल में राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करने और इसे प्रांत को संप्रदाय आधार पर हिंदू बाहुल्य और मुस्लिम बाहुल्य इकाइयों में बांटना था। इस निर्णय का राष्ट्रवादियों ने जमकर विरोध किया।

 1905 में बंगाल विभाजन के पश्चात स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से बंगाल में राष्ट्रीय आंदोलन का उग्र रूप विकसित हुआ।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी अब नरमपंथी नेताओं के स्थान पर गर्मपंथी नेताओं का प्रभाव बढ़ने लगा था।

बंग- भंग विरोधी आंदोलन ने जैसे-जैसे जोर पकड़ा, बिहार में भी इसके प्रभाव पड़े।

 यहचेतना बिहारियों के बीच भी थी कि बंगाल का विभाजन मात्र प्रशासनिक सुविधाओं के लेकर नहीं किया गया है।

प्रशासनिक सुविधा के दृष्टिकोण से बंगाल को विभाजित करने के बदले में बिहार के क्षेत्र को बंगाल से अलग एक पृथक प्रशासनिक इकाई बनाना कहीं उपयुक्त था।

बिहार के पृथक्करण की मांग पहले भी प्रस्तुत की जा रही थी। बंग - भंग विरोधी आंदोलन ने बिहार में दो स्तर पर राजनीतिक परिवर्तन लाने में योगदान दिया।

प्रथम, इस विभाजन के वैकल्पिक प्रस्ताव के रूप में प्रांत के गठन की मांग ने जोर पकड़ा।

द्वितीय इसके फलस्वरूप बिहार के क्रांतिकारी आंतकवाद का विकास आरंभ हुआ।

क्रांतिकारी आंतकवाद

बंग भंग विरोधी आंदोलन के क्रम में बंगाल में क्रांतिकारी आंतकवााााद का प्रसार हुआ था।

बिहार में इस विचार के आरंभिक नेताओं में डॉ ज्ञानेंद्र नाथ, केदारनाथ बनर्जी, और बाबाजी ठाकुर दास थे।

बाबा जी ठाकुर दास ने पटना में 1906-07 में रामकृष्ण सोसाइटी की स्थापना की और एक समाचार पत्र दि मदरलैंड का प्रकाशन भी आरंभ किया जिसके द्वारा क्रांतिकारी विचारों का प्रचार हुआ। 

1908 में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी नमक दो युवकों ने मुजफ्फरपुर के जिला जज डी. एंच. किंग्सफोर्ड की हत्या के प्रयास में उसकी फिटन पर बम फेंका।

धोखे में दो महिलाओं की हत्या हो गई जो उस फीटन पर सवार थी। यह मुजफ्फरपुर के एक विख्यात वकील, प्रिंगल केनेडी की पत्नी एवं बेटी थी।

 खुदीराम बोस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जबकि प्रफुल्ल चाकी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली खुदीराम पर मुकदमा चला और उसे फांसी की सजा दी गई।

11 अगस्त 1960 को खुदीराम को फांसी हुई।

शाचिंद्रनाथ सन्याल ने 1913 में पटना में अनुशीलन समिति की शाखा की स्थापना की।

भूपेंद्र नाथ दत्त ने पटना में भवानी मंदिर क्रांतिकारी संस्था की स्थापना की।

बिहार प्रांत का गठन - 1906 सच्चिदानंद और महेश नारायण के द्वारा अलग विहार मांग के समर्थन में एक पुस्तिका प्रस्तुत की गई थी।
इस वर्ष राजेंद्र प्रसाद के द्वाराा पटना में बिहारी  छात्र सम्मेलन का आयोजन हुआ।

मजहरूल हक अली इमाम और हसन इमाम ने भी पृथक बिहार के निर्माण की मांग प्रस्तुत करने में सहयोग किया।

1960 में बिहार प्रादेशिक सम्मेलन का पहला अधिवेशन पटना में आयोजित हुआ।

1960 में ही नवाब सरफराज हुसैन खान की अध्यक्षता में बिहार में कांग्रेसियों की एक सभा का आयोजन हुआ। 

इसमें बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ। इसके अध्यक्ष हसन इमाम बनाए गए।

12 दिसंबर 1911 को दिल्ली में आयोजित शाही दरबार में बिहार और उड़ीसा के क्षेत्रों को बंगाल से पृथक कर एक नए प्रांत में संगठित करने की घोषणा सम्राट द्वारा की गई।


 नया प्रांत 1 अप्रैल 1912 से विधिवत स्थापित हो गया। 


Bihar Rajy ka Asthapna | बिहार का स्थापना
बिहार का स्थापना


1916 में पटना उच्च न्यायालय और 1917 में पटना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

 1912 में ही पटना में कांग्रेस का 27 वां सम्मेलन आयोजित हुआ इसके अध्यक्ष आर एन माधोलकर थे।
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1 Comments:

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MURSHID MG
admin
May 21, 2020 at 2:44 PM ×

Very nice line

Congrats bro MURSHID MG you got PERTAMAX...! hehehehe...
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