Oops! Page does not exist. We are redirecting you to home page.

Commerce 11 and 12

Very very important Question and Answers




लेखांकन चक्र ( ACCOUNTING CYCLE)

अर्थ ( Meaning) : लेखांकन चक्र से आशय लेखांकन में एक संस्था द्वारा वित्तीय लेनदेन के लिए लिखे जाने वाले चरणों (Steps) के अनुक्रम को कहते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि लेखांकन चक्र एक पूर्ण अनुक्रम है जो लेन-देन के अभीलेखन से प्रारंभ होता है और अंतिम खातों (Final Accounts) अर्थात वित्तीय विवरणों (Financial Statements) के निर्माण के पश्चात समाप्त होता है जिसे प्रत्येक वर्ष में दोहराया जाता है।

क्या लेखांकन विज्ञान है अथवा कला?

लेखांकन कला है या विज्ञान इस तथ्य पर विद्वानों ने अपनी अपनी विभिन्न प्रकार की मत रखी है।
लेखांकन एक कला है और साथ ही साथ यह एक विज्ञान भी है। पुस्तकों में लेखन करने क्रिया एक कला है लेकिन उसको पुस्तकों में लेखन करने की जो सिद्धांत है वह एक विज्ञान का रूप है। भले ही यहां प्राकृतिक विज्ञान के नियमों के समान अटल एवं सर्वमान्य नहीं है परंतु वह समानता स्वीकृत अवश्य है। इसलिए हम कह सकते है कि लेखांकन काल और विज्ञान दोनों है।

संपत्तियां क्या है ( What is an Assets)?

संपत्तियों से आशय उधम के आर्थिक स्रोतों से है जिन्हें मुद्रा में व्यक्त किया जाता जिनका मूल्य होता है जिनका उपयोग व्यापार के संचालन व आयोजन के लिए किया जाता है। इस प्रकार संपतिया वे स्रोत है जो भविष्य में लाभ पहुंचाते हैं। उदाहरण के लिए मशीन, भूमि, भवन, ट्रक,  रोकड़ आदि। इन सभी को balance sheet के assets side लिखा जाता है।

भारत में लेखांकन मानक (Accounting Standards in India)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1973 में किए गए प्रयासों के बाद भारत में भी लेखांकन मानकों की प्रति जागरूकता उत्पन्न हुई। अप्रैल 1977 में भारत के चार्टर्ड लेखांकन संस्थान (Institute of Chartered Accounts of India) ने एक लेखांकन मानक बोर्ड (Accounting Standard Board) की स्थापना की। यह बोर्ड अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर भारत में प्रचलित कानूनों रीति-रिवाजों तथा व्यवहारों के आधार पर लेखांकन मानक तैयार करता है। 
भारत में लेखांकन मानकों का अनुपालन ( Compliance of Accounting Standards)
भारत में लेखांकन मानक अनिवार्य प्रारंभ में नहीं थे, उनको उनको व्यापार में प्रयोग करना ऐच्छिक था। अंकेझक भी इनके अनुपालन ना करने पर अपनी रिपोर्ट में कोई विवरण नहीं देते थे। ऐसी परिस्थितियों में लेखांकन मानक अपने ही न्यायसंगीता को होते जा रहे थे। भारतीय कंपनी अधिनियम 1999 की धारा 211 के अनुसार जब भारतीय वित्तीय विवरणों को लेखांकन मानकों के अनुसार बनाया जाएगा तथा यदि कोई संस्थान इनका अनुपालन नहीं करता है तब अंकेक्षक को यह अधिकार है कि वह अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख करें इसके अतिरिक्त कंपनी भी इसके अनुपालन ना करने की दशा में इस बात का उल्लेख करेगा की ऐसा अनुपालन क्यों नहीं किया गया तथा उनके कारणों को स्पष्ट करेगी।


अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानक (International Accounting Standards)

विश्व स्तर पर लेखांकन सिद्धांतों तथा दरबार में एकरूपता लाने के 29 जून 1973 को 9 देशों के 16 लेखांकन निकायों (Accounting Bodies) मैं एक समझौता हुआ जिसके फलस्वरूप अंतरष्ट्रीय लेखांकन मानक समिति (International Accounting Standards Committee-IASC) का जन्म हुआ। इस समिति का मुख्यालय लंदन रखा गया। इस समिति के संस्थापक देशों में यूएसए, कनाडा, ब्रिटेन और आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान, मैकिस्को तथा नीदरलैंड है। 10 अक्टूबर 1977 को संशोधित समझौता पत्र पर तथा संविधान पर हस्ताक्षर हुआ।
संशोधित शर्तों के अनुसार वो लेखा संस्थाएं जो सह सदस्य थी, अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक समिति सदस्य हो गई तो अन्य लेखांकन संस्थाएं भी इसकी सदस्य हो सकती है। भारत भी इस का सदस्य है।
अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक समिति का उद्देश्य इस समििति का प्रमु उद्देश्य लेखांकन संबंधी मानक बनाना है। जिससे विश्वव स्तर पर लेखांकन की असमानताओं को दूर करके लेखांकन विवरणो  को तुलनिये तथा विश्वास  बनाया जा सके। 
Previous
Next Post »